Monday, December 29, 2014

क़लाम ए पीर
नूरे मोहम्मद नूरे ख़ुदा है सल्लल्लाहो अलय्हे वस्सल्लम
हर जगह वही तो जलवा नुमा है सल्लल्लाहो अलय्हे वस्सल्लम
हुस्न का पर्दा देख उठा कर कौन जुदा है कौन ख़ुदा है
माशूक नबी है आशिक़ ख़ुदा है सल्लल्लाहो अलय्हे वस्सल्लम
नूर के नुक़्ते में दोनों जहाँ हैं अलिफ लाम मीम से देखो अयाँ हैं
नुक्ता ख़ुदा है नुक़्ता जुदा हैं सल्लल्लाहो अलय्हे वस्सल्लम
नूरे नज़र है कौन यहाँ पर ज़ेरो ज़बर है कौन यहाँ पर
हर शय से वो वस्ल हुआ है सल्लल्लाहो अलय्हे वस्सल्लम
उस का मकां ही तेरा मकां है उस का निशां ही तेरा निशां है
तू मैं मिल के एक बना है सल्लल्लाहो अलय्हे वस्सल्लम
कहने को तो अल्लाह नबी है वस्ल में देखे तो ये है वो है
क़दीर अल्लाह का इश्क़ बड़ा है सल्लल्लाहो अलय्हे वस्सल्लम
छूटे दामन नूरे नबी का पीर से पाके तू कलमा नबी का

पीर नबी है पीर ख़ुदा है सल्लल्लाहो अलय्हे वस्सल्लम

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